केलिमुत्तू की विलक्षण क्रेटर लेक्स
'सौन्दर्य" से लबरेज निराली छटा देश-दुनिया के अजब-गजब नजारों में खूब दिखेगी। सौन्दर्य शास्त्र को रेखांकित करने वाले प्राकृतिक नजारों की देश-दुनिया में कहीं कोई कमी नहीं।
खास तौर से यह नजारे अजब-गजब भी... सौन्दर्य से लबरेज भी... आैर प्राकृतिक उपहार भी...। ज्वालामुखी विस्फोटक होने के साथ ही अब पर्यटन स्थल की शक्ल भी लेने लगे। इण्डोनेशिया के केलिमुत्तू ज्वालामुखी में भी दुनिया को कुछ ऐसा ही दिख रहा। केलिमुत्तू ज्वालामुखी क्षेत्र की प्राकृतिक सम्पदा ने विध्वंसक परिवेश को भी पयर्टन के सुन्दरता से भर दिया।
केलिमुत्तू ज्वालामुखी के शिखर पर तीन विलक्षण झीलें हैं। विलक्षणता यह है कि इन झीलों का जल रंग हमेशा परिवर्तित होता रहता है अर्थात बदलता रहता है। यह विलक्षण झील अपने जल का रंग कभी लाल नीला तो कभी हरा व काला कर देती हैं तो चाकलेट-ब्रााउन रंग कर देती हैं। खास बात यह है कि एक ही स्थान पर होने के बावजूद इन झीलों के जल का तापमान एवं रासायनिक गुण विभिन्नता से परिपूर्ण हैं।
इण्डोनेशिया की इन झीलों को 'केलिमुत्तू क्रेटर लेक्स" के नाम से जाना जाता है। इण्डोनेशिया के फ्लोरेंस द्वीप के निकट यह झीलें हैं। यह क्षेत्र इण्डोनेशिया की राजधानी से पूर्व के प्रांत नुसा तेगास में स्थित है। इस ज्वालामुखी के तीन शिखर हैं। इन शिखर पर ही झील स्थित हैं। इनमें एक झील को टीयू बुपुु कहा जाता है। इसे पुराने लोगों की झील के तौर पर देखा जाता है।
अन्य दो झीलों को टीयू को नुवा तथा टीवू के नाम से जाना जाता है। इनको युवा पुरूषों व मेडन की झील कहा जाता है। यह मुग्ध करने वाली झीलें दुनिया के आकर्षण का केन्द्र हैं। इण्डोनेशिया की यह विलक्षण झीलें ज्वालामुखी पर करीब 1640 मीटर ऊंचाई अर्थात शिखर पर हैं। अध्ययन में पाया गया कि इनके रासायनिक तत्व अलग-अलग हैं।
सुन्दर झीलों का इण्डोनेशिया में यह अतिलोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इण्डोनेशिया के भूवैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी सहित सम्पूर्ण क्षेत्र का अध्ययन किया तो जल रंग परिवर्तन सहित तमाम विलक्षणतायें मिलीं। इण्डोनेशिया ने केलिमुत्तू को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है। यह क्षेत्र खनिज व रासायनिक सम्पदाओं से परिपूर्ण है।
विशेषज्ञों की मानें तो झीलों के जल रंग परिवर्तन के साथ ही विभिन्न प्रकार की गैसों की उपलब्धता भी है। राष्ट्रीय उद्यान घोषित होने के बाद इस क्षेत्र में पर्यटकों को आवागमन की सहूलियत हो गयीं। विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 1915 में इन विलक्षण झीलों की खोज हुयी। एक क्षेत्रीय डच सैन्य अफसर बी वैन सचटेेलेन ने पहली बार देखा था।
विलक्षणता ने सैन्य अफसर का ध्यान आकर्षित किया। वर्ष 1929 में वाई बॉयमन ने इसका उल्लेख किया।पर्यटकों के लिए निकट ही नियमित हवाई सेवायें उपलब्ध हैं। केलिमुत्तू ज्वालामुखी क्षेत्र में आवासीय सहूलियतें भी हैं जिससे पर्यटक आसानी से क्षेत्र में विश्राम कर सकते हैं।
शहरी क्षेत्र से केलिमुत्तू तक पहंुचने में लगभग तेरह किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। आम तौर पर पर्यटक 'सूर्योदय का सौन्दर्य" देखने के लिए लालायित रहते हैं क्योंकि सूर्योदय का सौन्दर्य भी विलक्षण ही होता है। लिहाजा अधिसंख्य पर्यटक क्षेत्र में रात्रि प्रवास करते हैं।