Monday 15 January 2018

टियाटिहुआकन : पिरामिड श्रंखला का शहर

    'रहस्य एवं रोमांच" की देश-दुनिया में कहीं कोई कमी नहीं। 'रहस्य" की अनसुलझी गुत्थियां वैज्ञानिकों से लेकर आम आदमी तक को चिंतन-मनन-विमर्श को विवश कर देती हैं।

  मैक्सिको का 'टियाटिहुआकन" शहर सदियों बाद भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। 'टियाटिहुआकन" शहर पिरामिड श्रंखला का शहर है लेकिन यह खण्डहर शहर रहस्यों को छिपाये है।
    वैज्ञानिक सैकड़ों साल से रहस्य की गुत्थी सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। फिलहाल तो मैक्सिको का 'टियाटिहुआकन" शहर रहस्य में उलझी एक विरासत से अधिक कुछ भी नहीं दिख रहा। 
    वैज्ञानिकों की दृष्टि में पिरामिड़ों का यह एक खण्डहर शहर है। पिरामिड़ों के इस खण्डहर का वास्तविक नाम भले ही कुछ आैर हो लेकिन देश-दुनिया में इसे 'टियाटिहुआकन" की ख्याति हासिल है। विशेषज्ञों की मानें तो इस पिरामिड शहर की खोज एजटेक्स ने की थी। एजटेक्स ने ही इस स्थान को 'टियाटिहुआकन" संज्ञा दी थी। 'टियाटिहुआकन" का शाब्दिक अर्थ 'प्लेस आफ गॉड" होता है।
     विशेषज्ञों की मानें तो एजटेक्स की दृष्टि में मध्य युगीन यह शहर अचानक प्रकट हुआ था। इस शहर का निर्माण किसने किया आैर कब किया ? यह रहस्य अभी तक बना हुआ है। मैक्सिको सिटी के ठीक बाहरी इलाके में स्थित यह विस्मयकारी शहर करीब पांच सौ वर्ष पहले खण्डहर में तब्दील हो गया था। 'टियाटिहुआकन" का वास्तुशिल्प विलक्षण है।
      विशेषज्ञों की मानें तो इस विलक्षण शहर का निर्माण खास तौर से अर्बन ग्रिड सिस्टम से किया गया था। न्यूयार्क सिटी की बनावट भी इसी सिस्टम पर आधारित है। विशेषज्ञों का आंकलन है कि इस शहर की आबादी करीब पच्चीस हजार के आसपास रही होगी।पिरामिड से अभी भी मानव कंकाल अर्थात हड्डियों का ढ़ांचा मिलता रहता है।
     इससे इतना तो अवश्य स्पष्ट होता है कि बड़ी तादाद में इंसानी बलिदान हुआ होगा। पिरामिड श्रंखला का यह शहर खण्डहर होने के बावजूद दर्शकों-पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। देश-दुनिया के दर्शक-पर्यटक निरन्तर आते-जाते रहते हैं।

Friday 12 January 2018

खाजू ब्रिज : नायाब अरेबियन शिल्पकला

    'सौन्दर्य शास्त्र" की इबारत भले ही कहीं न दिखे लेकिन सौन्दर्य बोध देश-दुनिया को अपने शिल्प से बरबस आकर्षित करता है।

  ईरान को भले तेल उद्योग-धंधे एवं रेगिस्तानी इलाके के तौर पर देश-दुनिया में देखा जाता हो लेकिन उसके शिल्प का अपना एक अलग मुकाम है। 'अरेबियन शिल्पकला" की अपनी विशिष्टताएं हैं।
    'अरेबियन शिल्पकला" का सौन्दर्य खास ही नहीं आम अर्थात सार्वजनिक स्थलों पर भी दिखता है। रेगिस्तान में जहां एक ओर जल उपलब्धता का संकट खड़ा दिखता हो वहीं शिल्प सौन्दर्य विशिष्ट हो तो 'वाह वाह" लाजिमी हो जाता है।
     ईरान का इस्फान शहर विशिष्टताओं के साथ ही सौन्दर्य की गाथा भी संग रखता है। इस्फान का 'खाजू आर्च ब्रिज" अरेबियन शिल्पकला का अनुपम उत्कीर्ण शिल्प है। कोरइ नदी की कलकल बहती धारा के उपर शिल्प सौन्दर्य का निखार स्वत: आकर्षित करता है। निर्मल जलधारा के उपर झूलता ब्रिज (पुल) देश-दुनिया के लिए एक विशिष्ट आकर्षण है।
     खास यह है कि इस पुल की बनावट सामान्य पुलों जैसी नहीं है। सामान्यत: यह पुल शानदार महल अथवा बावड़ी जैसा दिखता है। सामान्यत: पर्यटक इस पुल से गुजरने के बजाय शिल्पकला का आनन्द एवं अनुभूति के लिए रुकते हैं।
    हालांकि यह पुल बहुत अधिक लम्बा नहीं है लेकिन पुल की ख्याति बहुत अधिक है। 'खाजू आर्च ब्रिज" वैसे तो 1650 ईसवी में बना था लेकिन देख कर ऐसा एहसास होता है कि जैसे इसका निर्माण अभी हाल के कुछ वर्षों पूर्व हुआ हो। पुल 133 मीटर लम्बा है तो वहीं 23 मेहराब भी हैं। मेहराब का शिल्प देखते ही बनता है। बादशाह शाह अब्बास ने इस बेशकीमती एवं अति खूबसूरत पुल का निर्माण कराया था। इस ब्रिज के मध्य में दो विशाल कक्ष हैं।
     इन विशाल-दिव्य-भव्य कक्ष का उपयोग बादशाह शाह अब्बास व उनके वारिसान आरामगाह के तौर पर करते थे। हालांकि अब इन कक्ष को आम जनता को अवलोकनार्थ खोल दिया गया है। ईरान का यह ब्रिज अरेबियन शिल्पकला का अनुपम एवं नायाब शिल्प है।
    विशेषज्ञों की मानें तो फारस के बादशाहों ने घोड़ों एवं बैलगाडि़यों को नदी पार कराने के लिए पुल की आवश्यकता महसूस हुयी थी। हालांकि अब पुल बाढ़ के संभावित खतरों को रोकने में कारगर दिखता है। पुल पर दो अष्टभुजाकार पैवेलियन बने हैं। पैवेलियन से पुल के सौन्दर्य को निहारा जा सकता है। खूबसूरती एवं सुकून यहां महसूस किया जा सकता है।

टियाटिहुआकन : पिरामिड श्रंखला का शहर     'रहस्य एवं रोमांच" की देश-दुनिया में कहीं कोई कमी नहीं। 'रहस्य" की अनसुलझी गु...